Saturday, March 8, 2014

मार दो गोली मुझे चौराहे पर



इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ
  • बाबुषा कोहली 





इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ -

डाल दो मेरे पैरों में बेड़ियाँ, चढ़ा दो मुझे सूली पर या फिर

पिला दो प्याला ज़हर का , टांग के सलीब पर मुझे, मेरे हाथ पैरों पर कीलें ठोंक दो.

इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ -

मैं ही धरती हूँ, मैं ही वायु, आकाश, जल और अग्नि भी. मैं ही हूँ पेड-पहाड़ , नदियाँ, नौतपा और इन्द्रधनुष !

महौट की बारिश भी मै,जेठ का सूखा भी मैं, आंधी, बवंडर, सुनामी भी मैं ही हूँ !

मैं ही कनेर हूँ, गाजरघास हूँ, बेशरम का फूल, गौतम के सिर पर खड़ा हुआ बरगद भी मैं !

मैं ही दलदल हूँ, मैं ही गड्ढे, कूड़ा -करकट,, कीचड़ - कचड़ा मैं ही हूँ !

मैं ही भूख हूँ, मैं ही भोजन,मैं ही प्यास हूँ और अमृत भी मैं. मैं दिखती भी हूँ, छिपती भी हूँ, उड़ती भी हूँ,

खिलती भी हूँ !

मैं अनंत हूँ, असीम हूँ, अविभाज्य हूँ.

इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ, मार दो गोली मुझे चौराहे 

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