tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post4845189707598069221..comments2023-07-23T04:52:16.477-07:00Comments on अजेय: गणतंत्र और लोसरअजेयhttp://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-61038902171445867052010-01-31T01:11:23.689-08:002010-01-31T01:11:23.689-08:00इस बेचैन आत्मा से मैं कइ बरस पहले मुंबई के मैक्स ...इस बेचैन आत्मा से मैं कइ बरस पहले मुंबई के मैक्स मूलर भवन में हुए एक सेमिनार में मिला था. सेमिनार का विषय ही आइडेंटिटी था. उसमें निर्मल वर्मा और के. सच्चिदानंदन भी थे. तब तंजिन ने भी अपनी पहचान के संकट को लेकर बात की थी. अपने देश को लेकर बहुत हूक उठती थी उसके मन में. तिब्बत, धर्मशाला, मनाली कनेक्श्न के कारण मैंने भी सेमिनार के बाद जरा देर इससे बात की थी. अब तो यह शायद कुछ वर्कशाप भी करते हैं. दो साल पहले तिब्बीत जाने वाले जत्थों के संघर्ष में जेल भी जा चुके हैं. सुनते हैं यह उस युवा पीढ़ी के नुमांइदे हैं जो इलाई लामा की हथजोड़ नीति पर भी सवाल खड़े करते हैं. <br /><br />दूसरी बात, जिनके पास अपना देश, अपनी जमीन नहीं है, उनके मन में अपने देश को पाने की बहुत बेचैनी, ललक, और तड़फ होती है, चाहे तिब्बत हो चाहे फिलीस्तीन. इसके विपरीत जब हमें मातृभूमि में रहने का सौभाग्य मिल रहा होता है तो हम धीरे धीरे उसका मूल्य खोते जाते हैं. अपनी पहचान के प्रति लापरवाह होते होते प्रमादी होते जाते हैं.Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-50673097679185329872010-01-30T23:28:18.699-08:002010-01-30T23:28:18.699-08:00कलेजे को चीरकर निकलते हैं ऐसे शब्द/रचना/कविताकलेजे को चीरकर निकलते हैं ऐसे शब्द/रचना/कविताहरि जोशीhttp://irdgird.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-21089896759216071292010-01-29T00:49:56.488-08:002010-01-29T00:49:56.488-08:00u r right brother. par ham hindee waalo ko yah sac...u r right brother. par ham hindee waalo ko yah sach sweekaarane me<br />takaleef bahut hotee hai. shaayad isee vajah se ham apanee kavitaa ko<br />aage nahee le jaa paa rahe. bhaashaa kee samasyaa ke chalate main bhi<br />bahut zyada baahar nahee jhaank pata. lekin aap kee tarh mujhe is sach<br />ko sweekarane me^ koi jhijhak nahi hai. achchhaa lagaa aap kaa comment<br />padh kar. yahan khojie. kuchh milegaa. aur bhi link doonga:<br /><br />http://www.tibetwrites.org/?_Tenzin-Tsundue_अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-18783984155030128412010-01-28T22:27:42.023-08:002010-01-28T22:27:42.023-08:00अरे यार शायद कविता में ऐसा डूबा कि कवि के नाम और ...अरे यार शायद कविता में ऐसा डूबा कि कवि के नाम और अनुवाद के बारे में तुम्हारी टीप पर ध्यान नही गया.<br />वैसे अपने में डूबे हम हिन्दी वाले अन्य भारतीय भाषा के कवियों के बारे में कम ही जानते हैं. लिंक का इंतज़ार रहेगा.Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-34934193245424634542010-01-28T20:52:54.344-08:002010-01-28T20:52:54.344-08:00# अशोक, कवि तंज़िन त्सुंडुए उतना अनाम नहीं है. अंग्...# अशोक, कवि तंज़िन त्सुंडुए उतना अनाम नहीं है. अंग्रेज़ी में उस के दो संग्रह आ चुके हैं. विश्व की अनेक भाषाओं में इन का अनुवाद हो रहा है. दुनिया भर के काव्योत्सवों में इस युवा सेंसेशन की माँग रहती है. कारण है , उस की मासूम प्रतिबद्धता, और स्पष्ट एजेंडा. आप को लिंक देता हूँ. इस कवि के बारे जान कर आप को ऊर्जा मिलेगी. <br /><br />अनाम तो मेरे वे अनुवादक मित्र हैं . जो कवि न होते हुए भी तंज़िन को समझना और उसे हिन्दी पाठक तक पहुँचाना चाह रहे हैं. बिना अपना नाम ज़ाहिर किए...ये अनुवाद उन्ही मे से एक का है. यह मेरा काम नहीं है.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-83320826037128555952010-01-28T08:22:15.635-08:002010-01-28T08:22:15.635-08:00ओह अजेय!
कितनी मासूम कविता
बहुत अच्छा अनुवाद किया ...ओह अजेय!<br />कितनी मासूम कविता<br />बहुत अच्छा अनुवाद किया है तुमने<br />उस अनाम कवि को मेरा भावुक सलाम!Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-59061362034416530152010-01-27T04:53:15.666-08:002010-01-27T04:53:15.666-08:00badi samvedansheel kavita hai.badi samvedansheel kavita hai.Dhireshhttp://ek-ziddi-dhun.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-85350366741627835522010-01-26T16:27:49.417-08:002010-01-26T16:27:49.417-08:00# सुशीला पुरी . सॉरी, जी. शायद मुझे फुट्नोट देना...# सुशीला पुरी . सॉरी, जी. शायद मुझे फुट्नोट देना चाहिए था. वैसे टिप्पणी में बता दिया है मैंने कि लोसर तिब्बती नव वर्ष का उत्सव है.फिर भी फूट नोट दे देता हूँ.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-1686401883958085222010-01-26T09:04:48.996-08:002010-01-26T09:04:48.996-08:00बेहतरीन कविता। बहुत ही नरम और संवदेनशील।बेहतरीन कविता। बहुत ही नरम और संवदेनशील।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-83576848878878209612010-01-26T06:09:08.291-08:002010-01-26T06:09:08.291-08:00losar ka matlab........???losar ka matlab........???सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.com