tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post6359630814410801595..comments2023-07-23T04:52:16.477-07:00Comments on अजेय: पूर्वा और मौलिकता --3अजेयhttp://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-66355555807195803102010-11-09T20:43:20.379-08:002010-11-09T20:43:20.379-08:00अजेय जी, निरंजन जी, उरसेम जी, अंक तो भिजवाइएअजेय जी, निरंजन जी, उरसेम जी, अंक तो भिजवाइएHimachal Mittrahttps://www.blogger.com/profile/14953444374583802358noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-67853217389263383512010-11-09T16:55:51.151-08:002010-11-09T16:55:51.151-08:00निरंजन ने सही कहा. मनुधरा का हिन्दी सेक्शन हैरान क...निरंजन ने सही कहा. मनुधरा का हिन्दी सेक्शन हैरान कर देने वाला है. हिमाचल और वह भी कुल्लू जैसी अकादमिक रूप से अजानी जगह के एक दम नए खुले शिक्षण संस्थान से इतनी समृद्ध और जेनुईन पत्रिका का निकलना यहाँ तय्यार हो रहे साहित्यिक माहौल का संकेत है. निश्चय ही इस मे उरसेम लता की मेहनत, लगन ,के साथ उन के सम्पादकीय विवेक और विजन का पता चलता है.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-67969158273554752972010-11-08T18:47:43.213-08:002010-11-08T18:47:43.213-08:00यह बताना तो भूल ही गया कि मनुधरा एक लीक से हट कर प...यह बताना तो भूल ही गया कि मनुधरा एक लीक से हट कर प्रयास है । मैंने आज तक किसी शैक्षणिक संस्थान से इतना रचनात्मक प्रयास होते हुए नहीं देखा । <br /><br />#कृपया ऊपर अंतिम पंक्ति में 'खोला ही होगा' की जगह <br />'खोलना ही होगा' पढ़ें ।niranjan dev sharmahttps://www.blogger.com/profile/16979796165735784643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-60604430238681074222010-11-08T18:42:28.252-08:002010-11-08T18:42:28.252-08:00मनुधरा क्योंकि मैंने भी पढ़िए है इस लिए इस बात से स...मनुधरा क्योंकि मैंने भी पढ़िए है इस लिए इस बात से सहमत हूँ कि नवलेखन को मंच तो दिया जाना जरूरी है , साथ ही साथ यह भी देखना जरूरी है कि हम उन पर कोई भी विचार जबरन न लादें । उन्हें पढ़ने के अवसर मुहैया कराएं । उसके बाद वह अपना रास्ता स्व्य बनाएँ । <br />लेखक समाज का एक बढ़ा वर्ग विचारधारा कि जड़ चौहद्दीओं से आगे जा कर सोचना जरूरी नहीं समझता । कभी -कभी हम अनजाने में ऐसे पूर्वग्रह पाल लेते हैं कि नवलेख्क का स्वाभाविक विकास अवरूढ़ हो जाता है । काँटेदार बाड़ हटा कर रास्ता तो खोला ही होगा ।niranjan dev sharmahttps://www.blogger.com/profile/16979796165735784643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-33992590185740224872010-11-03T23:34:31.406-07:002010-11-03T23:34:31.406-07:00एक छात्र पत्रिका की खासियत उसकी अनगढ़ता होती है.
आ...एक छात्र पत्रिका की खासियत उसकी अनगढ़ता होती है.<br />आपकी बात से सहमत हूँ.<br /><br />पत्र में कई मुद्दों पर आपने अपनी बेबाक राय रखी है जिनमे ज्यादातर से असहमत नहीं हुआ जा सकता.शुभकामनायें.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.com