tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post8705183798764435552..comments2023-07-23T04:52:16.477-07:00Comments on अजेय: यह हमारा सामूहिक कुकृत्य था . हम शर्मिन्दा हैं अजेयhttp://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-81817783757114083502012-12-30T19:14:22.188-08:002012-12-30T19:14:22.188-08:00हम ब्यूस की टहनियाँ हैं,
जितना चाहो दबाओ,
हम झुकती...हम ब्यूस की टहनियाँ हैं,<br />जितना चाहो दबाओ,<br />हम झुकती ही जाएँगी,<br />जैसा चाहो लचकाओ,<br />लहराती ही रहेंगी,<br /><br />जब तक हम में लोच है,<br /><br />और जब सूख जाएंगी,<br />कड़क कर टूट जाएंगी।<br /><br />हमें लेनी ही होगी इसकी जिम्मेदारी, हम इससे पीछे नहीं हट सकते, लेकिन अब सूख चुकी हैं भावनाएं ब्यूस की टहनियों जैसी ही, और टूट चुकी हैं, बिखरी हुई सड़कों पर, पसरी हुई लम्बी छाया।Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.com