tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post3789058397873559272..comments2023-07-23T04:52:16.477-07:00Comments on अजेय: हेप्पी दीवाली की पूर्व संध्या परअजेयhttp://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-63036130127742140812014-10-30T06:25:04.003-07:002014-10-30T06:25:04.003-07:00मुझे झेंप होती है ! मेरे पास वो ठेठ पहाड़ी एक्सेंट ...मुझे झेंप होती है ! मेरे पास वो ठेठ पहाड़ी एक्सेंट नहीं है । दीनूजी, राजकुमार राकेश या यादवेन्द्र शर्मा से करवाया जा सकता है यह काम. हाँ ये कविताएं में केहर सिंह और उर्सेम के साथ ज़रूर शेयर करूँगा , यदि वे इस का कुछ उपयोग कर पाएं तो मुझे खुशी होगी अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-80806479484824364862014-10-28T22:15:41.219-07:002014-10-28T22:15:41.219-07:00पहले तो यह कि नंद आ गया। फिर निरंजन से सहमत। उसकेब...पहले तो यह कि नंद आ गया। फिर निरंजन से सहमत। उसकेबाद यह कि यह थियेट्रिकल टेक्स्ट प्रतीत हो रहा है। परफारमेंस का। इसलिए अजेय पहले आप अगर इसे अपनी आवाज में रिकार्ड करके अपलोड करें तो इसका प्रभाव देखा जाए। फिर अभिनेता इसका पाठ करें। Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-33557138182769809062014-10-23T21:57:48.416-07:002014-10-23T21:57:48.416-07:00'बातचीत' श्रंखला के माध्यम से जो मसले उभर ...'बातचीत' श्रंखला के माध्यम से जो मसले उभर रहे हैं उसके लिए यह शिल्पगत ढांचा बहुत कारगर जान पड़ रहा है . इस पर दो तरह के पाठकों की राय महत्वपूर्ण रहेगी . एक तो हमारे परिवेश के ऐसे पाठक जो कविता कम -शम ही पढ़ते हैं . दूसरे हिमाचल के बाहर के पाठक और कवियों की राय . सम्प्रेषण के स्तर पर बड़े पाठक वर्ग से जुड़ने के लिहाज से भी इसे परखा जाना चाहिए . कविता के गठन पर विस्तार से बातचीत की सम्भावना है . niranjan dev sharmahttps://www.blogger.com/profile/16979796165735784643noreply@blogger.com