tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post8400599708974679456..comments2023-07-23T04:52:16.477-07:00Comments on अजेय: उस नमक में मैं भी शामिल होना चाहता हूँअजेयhttp://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-40174328482811076222012-06-09T23:55:07.052-07:002012-06-09T23:55:07.052-07:00इस में विस्मय कैसा अशोक , बाबुषा ने ठीक ही तो कहा ...इस में विस्मय कैसा अशोक , बाबुषा ने ठीक ही तो कहा है! कविता पीड़ा से उत्पन्न होती है लेकिन कविता पीड़ा में फँसे रहना नहीं है, उस का उत्सव है .... पीड़ा को उत्सव बना देना कठिन है लेकिन इस का आनन्द अनिवर्चनीय हैअजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-73962425382606244712012-06-09T22:06:42.887-07:002012-06-09T22:06:42.887-07:00अरे…अरे…Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4459327284061162268.post-74180726700185198832012-06-07T03:27:59.822-07:002012-06-07T03:27:59.822-07:00पीड़ा सुन्दर कविता को जन्म देती है . कविता पीड़ा का ...पीड़ा सुन्दर कविता को जन्म देती है . कविता पीड़ा का उत्सव है. यह कविता तो महा-उत्सव है.बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.com