Saturday, March 15, 2014

मेरे पास कहने का सामान है


हिन्दी वाले  निरुपमा दत्त को कुमार विकल के माध्यम से जानते हैं । आज उन का संग्रह ‘बुरी औरतों की फेहरिस्त में’  पढते हुए लगा कि  इन कविताओं को  मेरे ब्लॉग पर होना चाहिए ।

बुरी औरत

  • निरुपमा दत्त


अगर आप मेरे शहर आओगे

तो बुरी औरतों की फेहरिस्त में

मेरा नाम भी दर्ज पाओगे

मेरे पास वो सब कुछ है

जो एक बुरी औरत के पास

होना लाज़िमी होता है

हाथ में छलकता जाम है

मेरी खिलन्दड़ी हँसी

बहुत बदनाम है

मुँह में जलती आग है

दिल धड़कता है

रगों में बसा कोई राग है

पाँव तले ज़मीन है

ऊपर खुला आसमान है

मेरे में सहने का हौसला है

मेरे पास कहने का सामान है

पुस्तक : बुरी औरतों की फेहरिस्त में   लेखक : निरुपमा दत्त ,
प्रकाशक : प्रतिलिपि बुक्स , 182 जगराज मार्ग बापू नगर जयपुर , जयपुर -303215
http://pratilipi.in 

Saturday, March 8, 2014

मार दो गोली मुझे चौराहे पर



इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ
  • बाबुषा कोहली 





इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ -

डाल दो मेरे पैरों में बेड़ियाँ, चढ़ा दो मुझे सूली पर या फिर

पिला दो प्याला ज़हर का , टांग के सलीब पर मुझे, मेरे हाथ पैरों पर कीलें ठोंक दो.

इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ -

मैं ही धरती हूँ, मैं ही वायु, आकाश, जल और अग्नि भी. मैं ही हूँ पेड-पहाड़ , नदियाँ, नौतपा और इन्द्रधनुष !

महौट की बारिश भी मै,जेठ का सूखा भी मैं, आंधी, बवंडर, सुनामी भी मैं ही हूँ !

मैं ही कनेर हूँ, गाजरघास हूँ, बेशरम का फूल, गौतम के सिर पर खड़ा हुआ बरगद भी मैं !

मैं ही दलदल हूँ, मैं ही गड्ढे, कूड़ा -करकट,, कीचड़ - कचड़ा मैं ही हूँ !

मैं ही भूख हूँ, मैं ही भोजन,मैं ही प्यास हूँ और अमृत भी मैं. मैं दिखती भी हूँ, छिपती भी हूँ, उड़ती भी हूँ,

खिलती भी हूँ !

मैं अनंत हूँ, असीम हूँ, अविभाज्य हूँ.

इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ, मार दो गोली मुझे चौराहे