घबराईए नहीं, यह यह आक्रमण चीन या कोई और पड़ोसी मुल्क नहीं हमारे अपने ही लोग कर रहे हैं। इस जिप्सी पर लगी चिप्पी बता रही है 1999 से ले कर कुछ लोग हर वर्ष इस raid-de himalaya को सरंजाम दे रहे हैं। इस शब्द Raid पर ज़रा गौर कर लेना चाहिए. इस शब्द के पीछे के मानसिकता काम कर रही है. जो कि एक आम हिमालयी मानस के attitude का प्रतिनिधित्व नही करती. हम अपने हिमालय के साथ तादात्मयता के साथ जीते आये हैं. आगे भी वैसे ही जीना चाहते हैं. प्रकृति पर विजय पाने की अवधारणा शायद भारतीय सोच का हिस्सा ही नही है. तो फिर यह सोच कहाँ से आ रही है?
आज शाम को पाँच बजे जब दफ्तर से लौट रहा था, तो raid-de Himalaya की पहली गाड़ी स्पिति के दुर्गम पठारों , पीर पंजाल के दुरूह दर्रों को को रौन्दती –कुचलती केलंग की जर्जर गलियों तक पहुँच गई थी. इस गाड़ी की तस्वीर खींचते हुए यह विचार मुझे परेशान कर रहा था और मैं सहसा *अतिक्रमित* सा महसूस करने लगा था. क्या हमॆं इस Raid का स्वागत करना चाहिए ?
आज शाम को पाँच बजे जब दफ्तर से लौट रहा था, तो raid-de Himalaya की पहली गाड़ी स्पिति के दुर्गम पठारों , पीर पंजाल के दुरूह दर्रों को को रौन्दती –कुचलती केलंग की जर्जर गलियों तक पहुँच गई थी. इस गाड़ी की तस्वीर खींचते हुए यह विचार मुझे परेशान कर रहा था और मैं सहसा *अतिक्रमित* सा महसूस करने लगा था. क्या हमॆं इस Raid का स्वागत करना चाहिए ?
बहुत अच्छी प्रस्तुति .
ReplyDeleteश्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!
क्या कमीनापन है यार भाई लोगों का...
ReplyDeleteयह विशुध पाश्चात्य अवधारणा है । प्रकृति को जीत लेने की , मृत्यु को जीत लेने की ।
ReplyDeleteरोको इन लोगों को । हमें न तो दूषित वातावरण चाहिए न ही प्रदूषित अवधारनाएँ । इन्हे रोका जा सकता है और रोका जाना चाहिए । हमें अपने आप को पहचानना ही होगा।
Himalaya men paon rakhne waale har vyakti ko sabse pahle DHYAN se guzaara jaana chaahiye.
ReplyDeleteHamaare Camps men yah aniwaarya shart hai.
Mushkil yah hai ki Himalaya ko raundne waalon ko himalaya ke hi kuchh munaafakhor aur haraamkhor log bula rahe hain.
Ajey, Niranjan aur Ashesh jaldi se Kullu men is par ek goshthi bulaayen. Zaroor koi achhi shuruaat hogi.
आपने विजय और आक्रामकता की पूरी अवधारणा को इस रेड शब्द में पकड़ लिया है. आशिया नव नारी राह दिखा ही रही हैं
ReplyDeleteyes.....
ReplyDeletethis is not good, fighting with nature is not our mentality.
यह आक्रामकता कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकती। पहाड़ हमें रास्ता देता है, अपनी चोटी तक पहुँचने का। फिर विजय का यह अभियान किसलिए ? जबकि प्रकृति की जरा सी जुम्बिश आदमी के अस्तित्व को झिंझोड़ डालती है।
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ReplyDeleteSh.RN Sahni , a noted author responded on e -mail:
ReplyDeleteI think the use of the word `RAID' is certainly an offensive misuse for such an
adventure. This is a typical Indian attitude of saying something or using or
misusing of words without thinking of its implications. Indians are in habit of
copying anything foreign without knowing anything about it. This sentence 'Raid
de Himalayas' seems to be borrowed from French.Simply driving through some part
of the Himalayas is being called raid, and perhaps the victory over the
Himalayas. They don't realize that there are people spending their whole life in
these Himalayas. They do not call it their victory over the mighty Himalayas,
nor even the Everest climbers call it their victory or raid over the Himalayas.
R.N. Sahni, the dweller in the Himalayas.
विष्णु खरे , हिन्दी कविता के मूर्धन्य हस्ताक्षर ने ई-मेल पर प्रतिक्रिया दी :
ReplyDelete"काता और ले दौड़े " के अपने अतिरिक्त बचकाना प्रतिबद्ध उत्साह में आपको यह भी नहीं सूझा कि इस रैली का पूरा सन्दर्भ और इसके (फ्रेंच) नाम का अर्थ आयोजकों के साइट BCMTouring पर तो देख लेते.मैं क़तई ऐसी रैलियों का समर्थक नहीं किन्तु हिंदी के लोग हमेशा हास्यास्पद ही क्यों बनें ? आपके साथ दूसरे भी जांच किए बिना आत्मपावन भर्त्सना में शामिल हो गए !
आदरणीय खरे जी,
ReplyDeleteआप की कविताओं का मुरीद हूँ. आप के अनुभवों और ज्ञान और क़द और उम्र के लिहाज़ से * बच्चा * ही हूँ. लेकिन मेरा यह उत्साह और अपनी मिट्टी के लिए प्रतिबद्धता बिल्कुल भी *अतिरिक्त* नहीं है. काता और ले दौड़े.... यह एक दिल्चस्प मुहावरा है. इस पहाड़ी कवि को इस का भी सन्दर्भ पता नहीं है.लेकिन मैं पिछले 46 वर्षों से हिमालय के भीतर उस से एकमेक हो कर जीने का प्रयास कर रहा हूँ जैसा कि तमाम हिमालय के मेरे नेटिव बन्धु करते आये हैं. .मैं हिमालय मे पर्यटन की गैर हिमालयी अवधारणा व मानसिकता को गहरे में समझने का प्रयास करता हूँ. और अपने तईं मानता हूँ कि उस *सभ्य* *नीयत* को थोड़ा पूरा समझता भी हूँ.मेरा दर्द आप को अतिरिक्त लगता है, हैरान नहीं हूँ. मुझे फ्रेंच नहीं आती. हो सकता है उस भाषा में raid शब्द का कोई उदात्त अर्थ होता हो. शब्द कोश मे देखूँगा. न ही मैं कभी उस साईट पर गया, कारण अब तक जान गए होंगे. आयोजकों का ज़रूर कोई महान एजेंडा होगा हिमालय में आ कर *हो हल्ला* करने का .हमें अपने ही बरे में कुछ समझाना चाहते होंगे.( पहाड़ मूर्ख जो ठहरा)
लेकिन जो टीम यहाँ पहुँचती है उन का हाव भाव और रवेय्या देख कर तो क़तई नहीं लगता कि Raid को वे अंग्रेज़ी के प्रचलित अर्थों मे नही लेते.
माफ करें आप कागद की लेखी कह रहे हैं, और मैं आँखों देखी.
फिर भी आप का शुक्रिया कि आप ने इस और इंगित किया. और आप यहाँ आए, प्रतिक्रिया दी. आभार , सर.
आदरणीय खरे जी,
ReplyDeleteआप की कविताओं का मुरीद हूँ. आप के अनुभवों और ज्ञान और क़द और उम्र के लिहाज़ से * बच्चा * ही हूँ. लेकिन मेरा यह उत्साह और अपनी मिट्टी के लिए प्रतिबद्धता बिल्कुल भी *अतिरिक्त* नहीं है. काता और ले दौड़े.... यह एक दिल्चस्प मुहावरा है. इस पहाड़ी कवि को इस का भी सन्दर्भ पता नहीं है.लेकिन मैं पिछले 46 वर्षों से हिमालय के भीतर उस से एकमेक हो कर जीने का प्रयास कर रहा हूँ जैसा कि तमाम हिमालय के मेरे नेटिव बन्धु करते आये हैं. .मैं हिमालय मे पर्यटन की गैर हिमालयी अवधारणा व मानसिकता को गहरे में समझने का प्रयास करता हूँ. और अपने तईं मानता हूँ कि उस *सभ्य* *नीयत* को थोड़ा पूरा समझता भी हूँ.मेरा दर्द आप को अतिरिक्त लगता है, हैरान नहीं हूँ. मुझे फ्रेंच नहीं आती. हो सकता है उस भाषा में raid शब्द का कोई उदात्त अर्थ होता हो. शब्द कोश मे देखूँगा. न ही मैं कभी उस साईट पर गया, कारण अब तक जान गए होंगे. आयोजकों का ज़रूर कोई महान एजेंडा होगा हिमालय में आ कर *हो हल्ला* करने का .हमें अपने ही बरे में कुछ समझाना चाहते होंगे.( पहाड़ मूर्ख जो ठहरा)
लेकिन जो टीम यहाँ पहुँचती है उन का हाव भाव और रवेय्या देख कर तो क़तई नहीं लगता कि Raid को वे अंग्रेज़ी के प्रचलित अर्थों मे नही लेते.
माफ करें आप कागद की लेखी कह रहे हैं, और मैं आँखों देखी.
फिर भी आप का शुक्रिया कि आप ने इस और इंगित किया. और आप यहाँ आए, प्रतिक्रिया दी. आभार , सर.
ab yahi bacha tha???
ReplyDeleteमेरी मुख्य चिंता शब्द के अर्थ से अधिक प्रवृत्ति को ले कर है। लाठी वालों ने रेड इंडियंस को बे दखल किया था । फिर उन्होने रंग -बिरंगी लठियाँ अपने ग्वालों के हाथों में थमा दी। ग्वालों के सिर पर डंडा उन्ही का रहा। इसे वे ग्लोबलाइजश्न टाइप से कुछ कहते हैं। खाल से नहीं खाल में छिप कर जो रेड कर रहा है उस से समस्या है।
ReplyDeleteबिलकुल , इन गाड़ियों को देख कर मुझे भी हमेशा से यही लगा है . ये बहुत 'रेड़ पीटने' वाली प्रथा है और बंद होनी चाहिए . पहाड़ों में हम भी जाते मगर उन्हें निरखने, परखने न की रेड़ पीटने . मैं इस कबख्त रेस को बंद करने के लिए आपके साथ आवाज़ बुलंद करता हूँ ! Pls convey mister Khare that for me this 'raid' is nothing but "रेड़" and it is my country so only my meaning applies . Aisi ki taisi !!
ReplyDelete# yes NIRANJAN & mr. munish, only *our* meaning shouold apply. coz its *our* problem. and *the others* must realize our problem.THATS ALL.
ReplyDeleteTHE HIMALAYA HAS NOTHING TO DO WITH *HINDIwala's COMPLEXES* *FRENCH DELICACIES* AND *ENGLISH SUPERMACIES*(SORRY ,DONT KNOW HOW TO SPELL THESE WORDS)