इस मदर्ज़ डे पर चाहता था अपनी एक खास कविता पोस्ट करूँ।लेकिन तीन दिनों की पूरी कोशिश के बाद आज ही 'साईन इन' कर पाया. यह कविता खास क्यों है ?
कुछ माह पूर्व मेरे एक मित्र की माँ स्वर्ग सिधार गईं . उन की तेरहवीं पर गाँव गया तो एक मार्मिक प्रसंग ने यह कविता लिखने के लिए विवश कर दिया. हुआ यूँ कि दिवंगत माँ का कतर (चोलू -बास्कट) जो *दान* दिया जाना था, दीवार पर लटक रहा था . मित्र बार बार आ कर उस पोशाक़ की जेबें टटोल जा रहा था. उपस्थित लोगों को यह अटपटा लगा और कुछ लोग मित्र की इस हरकत पर खराब टिप्पणिया देने लगे। सुन कर मैं बहुत आहत हुआ और उस शाम यह कविता लिखी गई. हिन्दी साहित्य की पत्रिका तद्भव के ताज़ा अंक से साभार मातृ दिवस पर आप सब के लिए यह कविता ।(देरी से पोस्ट करने के लिए क्षमा याचना सहित) :
तुम्हारी जेबों मे टटोलने हैं मुझे
दुनिया के तमाम खज़ाने
सूखी हुई खुबानियां
भुने हुए जौ के दाने
काठ की एक चपटी कंघी और सीप की फुलियां
सूँघ सकता हूँ गन्ध एक सस्ते साबुन की
आज भी
मैं तुम्हारी छाती से चिपका
तुम्हारी देह को तापता एक छोटा बच्चा हूँ माँ
मुझे जल्दी से बड़ा हो जाने दे
मुझे कहना है धन्यवाद
एक दुबली लड़की की कातर आँखों को
मूँगफलियां छीलती गिलहरी की
नन्ही पिलपिली उंगलियों को
दो दो हाथ करने हैं मुझे
नदी की एक वनैली लहर से
आँख से आँख मिलानी है
हवा के एक शैतान झौंके से
मुझे तुम्हारी सब से भीतर वाली जेब से
चुराना है एक दहकता सूरज
और भाग कर गुम हो जाना है
तुम्हारी अँधेरी दुनिया में एक फरिश्ते की तरह
जहाँ औँधे मुँह बेसुध पड़ीं हैं
तुम्हारी अनगिनत सखियाँ
मेरे बेशुमार दोस्त खड़े हैं हाथ फैलाए
कोई खबर नहीं जिनको
कि कौन सा पहर अभी चल रहा है
और कौन गुज़र गया है अभी अभी
सौंपना है माँ
उन्हें उनका अपना सपना
लौटाना है उन्हें उनकी गुलाबी अमानत
सहेज कर रखा हुआ है
जो तुम ने बड़ी हिफाज़त से
अपनी सब से भीतर वाली जेब में !
सुमनम 05.12.2010
अति भावपूर्ण..........
ReplyDeleteमार्मिक
ReplyDeletewonderful..amazing..what to say else.
ReplyDeleteBahut khoob!
ReplyDeleteअति भावपूर्ण| धन्यवाद|
ReplyDeleteIts very touching..
ReplyDeleteajey bhai dravit kar diya, aisa marm kahan se late ho???
ReplyDelete# shashi, सब से भीतर वाली जेब से !
ReplyDeleteaapne ek kavita mere blog Ajay Kumar http://lee-mainekaha.blogspot.com/ par choodi thi. maan ki antim yatra se lautne par.
ReplyDeleteaapki vah kavita jeevan ke itni kareeb hai.sab bete betiyo ko doshi bana ke katghre me khada kar deti hai. meri aankh bhar aai. mai aapka dhanyvaad karti hoon itni achhi rachna likhne par. vah peeda me likhi hui kavita hai. naman.
chhodi `` SPELLING MISTAKE.
ReplyDeleteअद्भुत......शायद मां पर लिखी दूसरी कई रस्मी कविताओ से जो कभी कभी बेहद लायूड भी हो जाती है ...से अलहदा है.....बेहद खूबसूरत है
ReplyDeletebahut khoobsoorat
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