दलाई लामा इन दिनों जिस्पा में हैं .उन्हे देखने आज मैं भी वहाँ गया. वहाँ अजय लाहुली ने मुझे एक हिन्दी बोलने वाले इम्पोछे से मिलाया . यानि कि रिम्पोछे विद अ डिफ्रेंस ! इन का नाम है गशर खेम्पो जङ्छुप छोईदेन . इन्हो ने मुझे बताया ने कि
इन के पिता जी लाहुल की मयाड़ घाटी के तिंगरेट गाँव से सम्बन्ध रखते हैं। माता जी तिब्बत की हैं. 1962 मे जब मनाली लेह सड़क का काम चल रहा था तब दोनो साथ साथ काम करते थे, दोनों ने शादी कर ली. बाद मे वे लोग में शिमला के रोह्ड़ू में बस गए और वहीं 1966 में इस विलक्षण प्रतिभा का जन्म हुआ. प्रारम्भिक शिक्षा इन्हो ने रोह्ड़ू के राजकीय पाठशाला में ही प्राप्त की . सम्प्रति कर्नाटक के गदेन शर्त्से विहार के खेम्पो यानि कुलपति हैं. जो कि बौद्ध विद्याओं का प्रख्यात केन्द्र है. ये चीनी, अंग्रेज़ी, तिब्बती , हिन्दी तथा अनेक अंतर्राष्त्रीय भाषाओं में पारंगत हैं. इन का हिन्दी उच्चारण अविश्वसनीय रूप से निर्दोष और शुद्ध है. हम ने बौद्ध धर्म और तिब्बत को ले कर दो घण्टे अनौपचारिक बात चीत की. धर्म को ले कर इन के विचार खुले और उदारवादी हैं. चर्चा का सार ज़रूर कभी पोस्ट करना चाहूँगा.रिम्पोछे का अपना वेबसाईट है और ब्लॉग भी लिखते हैं.
इन के पिता जी लाहुल की मयाड़ घाटी के तिंगरेट गाँव से सम्बन्ध रखते हैं। माता जी तिब्बत की हैं. 1962 मे जब मनाली लेह सड़क का काम चल रहा था तब दोनो साथ साथ काम करते थे, दोनों ने शादी कर ली. बाद मे वे लोग में शिमला के रोह्ड़ू में बस गए और वहीं 1966 में इस विलक्षण प्रतिभा का जन्म हुआ. प्रारम्भिक शिक्षा इन्हो ने रोह्ड़ू के राजकीय पाठशाला में ही प्राप्त की . सम्प्रति कर्नाटक के गदेन शर्त्से विहार के खेम्पो यानि कुलपति हैं. जो कि बौद्ध विद्याओं का प्रख्यात केन्द्र है. ये चीनी, अंग्रेज़ी, तिब्बती , हिन्दी तथा अनेक अंतर्राष्त्रीय भाषाओं में पारंगत हैं. इन का हिन्दी उच्चारण अविश्वसनीय रूप से निर्दोष और शुद्ध है. हम ने बौद्ध धर्म और तिब्बत को ले कर दो घण्टे अनौपचारिक बात चीत की. धर्म को ले कर इन के विचार खुले और उदारवादी हैं. चर्चा का सार ज़रूर कभी पोस्ट करना चाहूँगा.रिम्पोछे का अपना वेबसाईट है और ब्लॉग भी लिखते हैं.
मैं खुश हूँ. इस उमीद में कि स्वतंत्र विचारों के स्वामी इस युवा रिम्पोछे से तिब्बती थिओक्रेसी , मठ व्यवस्था, हिमालय पर उस का प्रभाव , विश्व राज्नीति में तिब्बत और हिमालय का सामरिक महत्व, इसे ले कर भारत और चीन की नीतियों, और हिमालय की जिओ- पॉलिटिकल हालातों पर स्वस्थ और अंतरंग चर्चा कर पाऊँगा। आप सब से शेयर करने के लिए।
नोट करें कि कोई भी तिब्बती या हिमालयी रिम्पोछे हिन्दी भाषा मे बात नहीं करता. शायद हिन्दी को पसन्द भी नहीं करता. लाहुल का यह रिम्पोछे अपवाद है. ये हिन्दी से प्रेम करते हैं. इन की ख्वाअहिश है कि कुछ समय इन्हे हिन्दी भाषियों के साथ गुज़ारने का मौका मिलता तो और भी धाराप्रवाह हिन्दी बोलने का सुख प्राप्त होता।
महा महिम दलाई लामा की धर्म सभा में जुटे लाहुल के श्रद्धालू.
इनके चेहरे का तेज ही प्रभावित करने पर्याप्त है. प्रतीक्षा रहेगी.
ReplyDeleteप्रतीक्षा रहेगी ....यह फोटो मैं कुछ लोगों ने आँखों पर पट्टी क्यों बंधी है ?
ReplyDeleteRimpochhe !
ReplyDeleteAho Bhaav !
Ahobhaagya !
Chehre ka yah shant chiraag
Nayaab hai
Yah Durlabh aur Adbhut kshan hai
Yah wo jagah hai
Jahaan badhawaas daudti duniya ke
Tamaan sangharsh aur tark ka
Beda gark ho jaata hai
Aao
Ham is Lamhe ko
Apna Deeya bana len
Aatm Deepo Bhav !
Om Mani Padme Hum
अच्छा लगा इनके बारे में जानकर
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