क्षणिका मेरी आठ वर्षीय बेटी है। पिछले एक पोस्ट में कुल्लू के अपने साहित्यिक मित्रों के बारे लिख रहा था तो उस का ज़िक़्र करना भूल गया. तब तो उस ने कहा " कोई बात नहीं "
लेकिन कोई बात तो ज़रूर थी ..... वर्ना महज़ अपनी *मेम* के कहने पर उस ने आज इतनी सुन्दर कविता नही लिखी होती ................
ओ धरती
तुम सूरज के गोल गोल घूमती हो
ओ चाँद
तुम धरती के गोल गोल घूमते हो
मगर तुम तीनो
क्यों आपस में गोल गोल घूमते हो ?
और तारे क्यों दूर दूर होते हैं ?
और वो टूट कर
मेरे पास क्यों नहीं आ जाते ?
चाँद और सूरज की तरह
सुन्दर बन जाते
हम तो खुश होते ही
शायद उन की भी खुशी बढ़ जाती
हम भी देखें
कितना सुन्दर दिखता है
टूटा हुआ तारा !
bahut hi sundar kavita hai ajey ji.
ReplyDeleteCHANIKA KO DHER SARA PYAR.
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ReplyDeleteहिंदी लिपि में सुनो :
ReplyDeleteक्षणिका एक क्षण की जाई है
क्षणिका एक लम्हे का पैगाम है
क्षणिका
एक लड़की का नाम है
यह अजेय और सविता की कविता का नाम है
रहतांग के आर-पार का संगीत!
सन्नाटे का गीत।
वह जानती है
कि जब वह बहुत ही छोटी थी
मुझे उसकी आँखों में छिपी
उन गोलियों को देखने में बड़ी दिक्कत आती थी
जो अब सिर्फ खुल नहीं रहीं
गज़ब से चमचमा भी रही हैं
ओ, गोल-गोल घूमने वाली धरती!
ओ, सूरज और चाँद!
ओ, आकाश-सरिताओ!
मुस्कराओ कि तुम सा एक क्षणिका हो गये!
बच्चों को भगवान का रूप कहा जाता है
मैं भगवान को बता चुका हूँ :
"किसी मुगालते में न रहना
दर-असल तुम ही बच्चे का रूप हो !
तुम उस में जन्म लेते हो
तुम उसके क्षणों में विस्फोटित होकर
विकसित होते हो
तुम पनाह मांगते हो बच्चे में बे-पनाह!
यकीनन, जहां-पनाह!
क्योंकि अपनी नींदों में जब भी
तुमने करवट बदली है
एक नए क्षण को नई अंगड़ाई मिली है
मुझे क्या पता था कि उस रोज़ मैंने
क्षणिका के हाथों में
दो रंगों वाले जो बहुत सारे गोलम-गोल
और नन्हें-नन्हें गोले पकड़ाये थे
वे सूरज-चाँद और पृथ्वी हो जाएँगे?
यह मैं इन तीनों के भीतर की बात नहीं
अपने भीतर की बात बता रहा हूँ
क्योंकि मेरे क्षण से तो
मेरी ही कविता आएगी
मैं कभी किसी को बधाई नहीं देता
मैं उसे सिर-आंखो पर लेकर
उड़ जाता हूँ
जितनी सुंदर कविता उतनी ही सुंदर अशेष का कमेंट
ReplyDeleteप्यारी बच्ची की प्यारी कविता.
ReplyDeleteबेहद प्यारी सी कविता!
ReplyDeleteअरे वाह !
ReplyDeleteनाम है क्षणिका
लिखती है कविता पूरी
इतनी पूरी
कि चांद सूरज और तारे
आ जाते घर द्वारे
न्यारे ओर प्यारे
क्षणिका को बहुत प्यारी कविता लिखने के लिए बहुत बधाई और बहुत बहुत प्यार
बहुत प्यारी, बेहद मासूम, लेकिन फिर भी जबरदस्त 'फीस्ट ऑफ़ माइंड' है ये कविता....
ReplyDeleteकविता वास्तव में बहुत सुंदर है!
ReplyDelete--
जिस अवस्था में इसे रचा गया है,
उस अवस्था का कौतूहल
इस कविता के माध्यम से
बहुत अच्छे रूप में
उभरकर सामने आया है
और
इस बात का प्रमाण है कि
क्षणिका ही इस कविता की सर्जक है!
*
ReplyDeleteक्षणिका की कविता:
सुन्दर है
अच्छी है
सच्ची है!
क्षणिका:
सुन्दर है
अच्छी है
सच्ची बच्ची है!
क्षणिका:
अपनी'मेम'की बात मानती है
कविता कैसे लिखते हैं
यह जानती है।
waah!
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ReplyDeleteक्षणिका से कविता का ये उदगम अदभुत तो है। भ क्षणिका से अच्छी कविता की आहट आश्वस्त करती है अजेय भाई! आप से इस बात का ग़िला है कि इतनी खूबसूरत बच्ची के बारे में आपने हमसे कभी ज़िक्र कभी नहीं किया। *मेम* साहिबा को हमारा सलाम कहिएगा और कहिएगा कि क्षणिका से और कविताएँ लिखने को कहें।
ReplyDeleteबिटिया क्षणिका के लिए स्नेह और शुभकामनाएँ ! जियो बेटा ! खूब लिखो। बिटिया से आपने इस रूप में अच्छा परिचय कराया अजेय भाई !
ReplyDeleteक्षणिका,aur likho
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