लाईब्रेरी परिसर वाली मीटिंग
एक लड़के ने लिखा कि बहुत दिन हो गए
हैं ,मिलते हैं ; कहीं बैठते हैं
दूसरे लड़के ने कहा कि हाँ बैठते हैं
न !
काम से फ्री होते ही कॉल करता हूँ
एक लड़का बैठ गया लाईब्रेरी में जा
कर के
और कबीर और प्रेमचंद को पढ़ने लगा
फिर उसे खयाल आया कि क्यों न
अनामिका या फिर देवी प्रसाद मिश्र को पढ़ा जाए
यूँ होने को तो यहाँ जॉर्ज ऑर्वेल की नाईंटीन एटि फोर से ले कर बोरिस पास्तर्नाक की डॉक्टर
ज़िवागो तक सारी रैंज होती है
पर कौन सी किताब का पाठ किस तरह से हो , इस का क़ायदा कैसे तय होगा
और कौन करेगा ?
एक लड़का किताबों में डूबा हुआ था कि
लंच ब्रेक की घंटी बज गई
तब केफे की तरफ जाने से पहले उस ने
झेंपते हुए पूछा कि मेंबरशिप के लिए क्या आई डी वगैरह चाहिए ?
लाईब्रेरियन ने बताया कि किताब
इश्यू करवाना चाहते हो
तो अटेस्टेड फोटो और ढाई सौ रुपये लगेंगे
एक ज़माने में रेड़ी मार्केट में एक
अठन्नी में रात भर के लिए मनपसंद किताब
मिल जाती थी
इस
याद के साथ एक लड़के को एक दैहिक सा
स्वाद याद आया कि
पचास रुपयों में रात भर के लिए सस्ती
सेक्सवर्कर आ जाती थी कमरे
में ।
लाईब्रेरियन ने अपने सहयोगी को
बताया कि चार बजे डिप्टी कमिशनर आने वाले हैं , मीटिंग करेंगे
दूसरे लड़के का फोन आया कि चार बजे
तक फ्री हूँ
और उस के बाद घर पर प्लम्बर बुला
रक्खा है
दोनों लड़के जल्द ही किताबों से फिसल
कर के फिल्मों पर आ गए । मानो लाईब्रेरी से निकल कर काफे में आ गए हों । और
तय पाया कि हिंदी फिल्मकारों को अपना कथ्य
परोसना नहीं आता । मानो कह रहे हों
कि इन बेयरों को बर्गर और फ्रेंच फ्राईज़ परोसना नहीं आता ।
दोनो सहमत थे कि सारा मामला क्राफ्ट
और प्रेज़ेंटेशन का है , हमारे लोग मेहनत
नहीं करते
जब कि हमारे लोग से उन का आशय हमारे
कस्बे के लोग नहीं हमारे ‘इंडिया के लोग’
था और ज़ाहिर है कि तुलना विश्व सिनेमा से हो रही थी
जब कि होना तो ‘हमारे कस्बे के
लोग’ ही चाहिए था
क्यों कि इतनी सारी शॉर्ट फिल्म्ज़ बन रही थी कस्बे के
अंदर,
और सुदूर लग,
पार्वती, सेराज और सैंज घाटियों
के अंदर
जब कि कस्बे के प्रोफेशनल फोटोग्राफरों को छोड़ कर तमाम बुद्धिजीवी पत्रकार कवि आलोचक पेंटर थिएटर कर्मी स्कूल
कॉलेजों के ‘स्टुडेंट’ और ‘प्रोफेसर’ समाजसेवी और राजनेता सभी बाल और दाढ़ियाँ
बढ़ाए बगल में ‘ट्राईपॉडें’ और ‘बैग’ उठाए ‘शूटिंगें’ कर रहे थे
कोई बिगिनर्स कोई घिसे हुए कोई
मेंटॉर ग्रूप लीडर और मोडरेटर बने हुए सब का अपना अपना नेट्वर्क
था
क्यों कि उन्हें यहाँ बहुत एक्स्पोजर और स्कोप नज़र आता था
नेट जिओ से फॉक्स ट्रेवलर और हॉली
वुड तक के कनेक्ट दिखते थे सब एक दूसरे का उपयोग कर डालने की फिराक़ में
इस आपसदारी में कितने तो
मिस्टर और मिस और मिसेज़ इंडिया एशिया पेसिफिक इंटरनेशनल
हो चुके हैं हमारे अपने ही गाँव के भाई जी
की धरमपत्नी वगैरह
गिनीज़ बुक नहीं न सही , और भी तो
कितनी किताबें हैं दर्ज होने के लिए ...............
पर शायद लड़्कों में यह तय था कि
लोकल एम्बीशन की आलोचना नहीं होनी चाहिए
एक लड़की ने लिखा कि वह और एक अन्य लड़की चार बजे लाईब्रेरी
आ रहे हैं
एक लड़के ने लिखा
कि वह और एक अन्य लड़का चार बजे
लाईब्रेरी से जा रहे हैं
ठीक चार बजे डिप्टी कमिश्नर का दस्ता आया और दूसरा लड़का
नमस्ते करता हुआ एक सफारी सूट पहने आदमी के साथ चिपक गया तो एक लडके ने अनुमान
लगाया कि चूँकि चार बज चुके हैं तो यह
नायब तहसीलदार नुमा आदमी ही वो प्लम्बर होगा
चार बज कर ठीक तीन मिनट पर एक लडकी
और एक अन्य लड़की लाईब्रेरी परिसर में प्रवेश कर रहीं थीं जब कि एक लड़का कॉफी का
बिल चुका रहा था
लड़कियों ने नमस्ते की तो लड़के ने हाथ जोड़ते हुए पूछा –
आ गये ?
लडकियों ने कहा – नहीं जी,
जा रहे हैं ।
एक लडके ने दूसरे लडके को फोन किया
तो दूसरे लड़के ने डिसकनेक्ट करते हुए मेसेज किया कि डी सी साब मीटिंग में बैठने के
लिए कह रहे हैं
एक लड़के ने प्रत्युत्तर में लिखा कि
‘एंज्वॉय योर #$%&@ मीटिंग ’ उस ने यह भी लिखना चाहा कि उसे खेद है कि उस की देहभाषा फॉरवर्ड नहीं हो सकती । उस का
चेहरा वट्स एप की उस गुस्से वाली इमोजी की तरह लाल हो रहा था
जब कि उस की मोबाईल स्क्रीन पर एक
हालिया रिलीज़ हुई शॉर्ट फिल्म चल रही थी जो कथित रूप से कान फिल्म फेस्टिवल में
नामित हुई हुई थी जिस में दो लड़कियाँ मैली डाँगरियाँ पहने हाथों में
प्लम्बरों वाले उपकरण लिए एक बड़े दरवाज़े से अंदर जा रही थीं ।
उस दरवाज़े के बाहर लिखा था ‘मीटिंग
हॉल ज़िला लाएब्रेरी कुल्लू ’
बावजूद
एक कांड दिल्ली में हुआ था
लोग हाथों में मोमबत्तियाँ लिए
चुपचाप सड़कों पर निकल पड़े थे
उस दिन मैं कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से चीख रहा था
फिर एक कांड शिमला में हुआ
तब तक लोग अपने बिस्तरों में दुबक
गए थे
गालियाँ और बददुआएं स्मार्ट फोन पर दर्ज हो रही थीं
जब कि मैं खामोश हो चुका था
आज मैं जब अपने गाँव में दिल्ली और शिमला के गुनाहगारों को
खोज रहा हूँ
तो डरता हूँ कि कहीं अपने आप से
मुलाक़ात न हो जाए
न सो पाता हूँ
न खुल कर रो पाता
हूँ
मेरी पत्नी बताती है कि मुझ से कुछ भी नहीं हो पाता
अक्सर बेवजह
बडबड़ाने लग जाता हूँ
और बेहोशी में पेंट में ही पेशाब हो जाता है
मुझे मिलने आने वाले लोग फुस्फुसाते हैं
शिमला और दिल्ली के
अच्छे घरो के लोग अब ऐसी वाहियात
हरकतें नहीं करते
यह तो मैं ही जानता हूँ कि कैसे मैंने अपने आप को बचाया है इस गाँव में
इतनी सुन्दर शिमला और इतनी बड़ी दिल्ली
के बावजूद
ज़िंदा !
मण्डी में कैशलेस घूमते हुए
मैं घूम
रहा था कैशलेस
शहर की तंग
गली में
कोई ए टी
एम नहीं दिखता था
अलबत्ता
कुछ कुत्ते थे और सूअर सुस्ताते
दीवाल की
छाया से उचक मुँह निकाले
मैं इस बंद
सीलन भरी जगह से बाहर हो जाना चाह्ता था
शायद उस
तरफ जहाँ स्मार्ट सिटी प्रोपोज़ हुआ है कल
की अखबार में
इस
हाईटेक एन्क्लेव के बीच मेरे प्रिय कवि का
घर था स्लेट की छत वाला
अभी
पौड़ियाँ चढ़ते ही लोहे की रेलिंग पर बँधा
उन का अल्सेशियन गुर्राएगा
ए टी
एम और पेट्रॉल पंप ने लेकिन इतनी जगह घेर
ली है समूचा गाँव ही ढँक गया है
कतार में
बैंक और बीमा कार्यालय खड़े हैं हाथ जोड़े प्रॉडक्ट बेचते
आम आदमी
जीवन बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड
भोजपुर से
चतरोखड़ी तक
एक महीने से नलवाड़ का मेला लगा हुआ था
प्लास्टिक
के तिरपाल , सफेदे की बल्लियाँ
हवा में
धूल महक रही थी जिस मे तैल जैसा कुछ भी आ रहा था
गो रक्षकों
पर कोई नोटबंदी लागू नहीं था
जब कि साँड
बौराए हुए थे हाईवे नम्बर इक्कीस पर
आड़ी तिरछी
लेट रहीं थीं माताएं आहत , दिव्यांग
एक हाथ
लम्बा घूँघट काढ़े लगभग सती हुई बहनें
जो इस देश
की तो नहीं हैं न जाने कहाँ
से यहाँ पहुँच गईं हैं गोबर बीन रही थीं
अपनी बहनों का
बहुत लम्बा
स्टार्ट अप ले कर स्टेंड अप में प्रविष्ट हो गए थे बेरोज़गार युवा
हाथों में अष्ठाम पकड़े काफी स्मार्ट नज़र आने लगे थे
अब
ज़िला के
तमाम मेजिस्ट्रेटों ने पंजीकरण शुरू कर दिया था
आज गोबर
बीनी जा रही है तो कल गायत्री भी निश्चय ही पढ़ी जाएगी
हवन भी
पक्का है कि होगा
और उद्घाटन
तो लग रहा है कि है ही है
मुख्य
मंत्री जी आए हैं
यहाँ रातों
रात एक होम स्टे खुल गया है ।
एयर कंडीशंड हॉल में कैम्प
जैसा कि
मेरा दोस्त कविता में से बाहर आ कर कहता
था
लगता है यह
जेठ की वही तपती दुपहरी थी
और मेरी
जेब में बहुत सारे स्मार्ट कार्ड थे
मुझे
स्वाईप मशीन वालों से शॉपिंग नहीं करनी
मुझे किसी
रेड़ी वाले से भी शॉपिंग नहीं करनी
मेरा नम्बर
नोट कर लो
हम सरकारी आदमी
बिज़्नेस कार्ड नहीं रखते
मुझे बस
पॉलीटेकनीक तक जाना है
सम्भावित
उद्यमियों के लिए मुझे यहाँ से कुछ कामगार निकालने हैं
प्लम्बर,
फिटर, वेल्डर , मिस्त्री , मेकेनिक , दर्जी , बेयरे और फ्रंट ऑफ़िस ब्वॉय्ज़
मुझे यहाँ
एक कैम्प लगाना है
मुझे बताया
गया है कि यहाँ के निदेशक आई ए एस होते हैं
तो सेमिनार
हॉल सेंट्रली एयर कंडीशंड ही होगा
केंप दारचा
सुमदो में लगता था बरसी नाला में बाढ़ आने
से पहले
जहाँ जेठ
की तपती दुपहरी जुलाई के अंत मे आती थी
केंप
चिमरेट में होता था सड़क पहुँचने से पहले
और कारगा
में पशुओं के साथ उतरते थे
हरी घास
चश्मे का
पानी
और सुबह की
बनी छाछ से भरी बोतल
ब्यूँस की
छाँव में
तब मेरे
पास महँगे कैमरे और डिवाईसेज़ नहीं थे
पर आज तो
यह पूरा हाल ही
एयर
कंडीशंड है जहाँ मुझे एक केंप लगाना है ।
बुद्धिस्ट सर्किट
मक्लोडगंज में बंगाली टूरिस्ट पूछता है
बुद्धा कितने का लगाया
तीन ठो लेगा , कमती करेगा ?
शेर सिंह मीरुपा को बहुत गुस्सा आया होगा
शेर सिंह मीरुपा अगर दारा सिंह या खली होता
तो जम कर एक थप्पड़ लगाता
लेकिन शेर सिंह मीरुपा थप्पड़ किसे लगाता ?
गाहक को
या दुकान दार को ?