Tuesday, March 19, 2013

जे सी बी से भिड़ते पत्थर

नवनीत शर्मा पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) के युवा कवि हैं . और लम्बे अरसे से लिख रहे हैं .उन  की कविता आप ने पहले भी यहाँ पढ़ी है . इधर इन्होने ने निरंतर रियाज़ से,  बड़ी मेहनत से अपनी कविता को निखारा है . अभी कल ही उन की एक अच्छी कविता मुझे मिली  है . सोचा  उसे शेयर करूँ




ढूँढना मुझे
  • नवनीत शर्मा
ढूंढ़ना मुझे
बावड़ी के किनारे रखे पत्‍थरों के नीचे
पीपल को बांधी गई डोर से कुछ दूर
खिलते गेंदे की कली में/

झरने से फूटते पानी के ठीक पीछे
या उस कांटेदार पौधे में जिसका दूध
हाथों-पैरों के मस्‍से ठीक करता है/

ढूंढ़ना मुझे
पहाड़ी पर खड़े हो कर गाए
किसी गीत के बोल के अंतिम हिस्‍से में/

मैं मिलूंगा तुम्‍हें
अधूरे छूटे किसी लोकगीत की संभावना में/

जंतर मंतर पर भी रहूंगा मैं
उन गुहारों में जो कुछ बदलना चाहती हैं/

मुझे पाना उन चीखों में
जो बहुत बार अनसुनी रह जाती हैं/

किसी संकरे पुल पर
पार से किसी के इंतजार में
शांत बैठा दिख सकूंगा मैं/

जरूरी हो तो मुझे खोजना
पहाड़ काटने में मसरूफ
किसी जेसीबी के ब्‍लेड को टेढ़ा कर चुके पत्‍थर में/

जो इस बार नहीं है कहीं
बस उसी सबके आसपास देखना मुझे।