Wednesday, April 25, 2018

कस्बो में नया इंडिया






यह शहर एक दिन जाग जाएगा

इधर काफी टूरिज़्म आ गया है और गाँव के अंदर तक फैल गया है
फल सब्िज़्यों के रेट अच्छे हो गए हैं
जड़ी बूटियों के बाद अब फूल भी बिक रहे हैं
आगे और भी काफी कुछ बिकने के आसार हैं

रोह्ताँग के बाद अब बिजली महादेव से कूड़ा साफ किया जा रहा है
महँगे सन ग्लास पहने मैम साबों की निगरानी में
पेड़ उगाए जा रहे हैं
झुग्गियों में रहने वाले सभी बच्चों और औरतों के नाम कागज़ों में दर्ज हो गए हैं
लुप्त होता लोक सहेजा जा रहा है
नष्ट होता पर्यावरण बचाया जा रहा है

मुद्दे ही मुद्दे हैं और एनजीओ ही एनजीओ हैं
कल्चर का उत्थान हो रहा है
माँसाहारी देवी देवता वैष्णव हो रहे हैं
बकरों के सिर नारियल हो रहे हैं
गूर और कारदार
वेद पढ़ रहे हैं संस्कृत हो रहे हैं
बोली का लहजा सपाट हो रहा है
मेला जो एक हफ्ता चलता था अब महीनों चलता रहता है
छोटे-मोटे नए मेले भी शुरु हो रहे हैं
लोकल म्यूिज़क अल्बम और फिल्मे शूट हो रही हैं
ब्यूटी कांटेस्ट हो रहे हैं, गाँव की लड़कियों को अच्छा एक्स्पोजर मिल रहा है
पत्रिकाएं निकल रहीं हैं कविताएं छप रहीं हैं
नुक्कड़ों पर नाटक खेले जाने लगे हैं
सभाएं - परिचर्चाएं हो रही हैं
धरने भी लगने लगे हैं
पान सिग्रेट के अड्डों पर पार्टी कार्यालय खुल गए हैं
देवताओं की महासभाएं बुलाई जा रहीं हैं
कुछ देवता विकास के विरोध में खड़े हैं
कुछ देवता समर्थन में
जनता चुप चाप देख रही है
जागरण का माहौल है

यह रक्त दान शिविर है
मुसलमान का खून हिंदू में जा रहा है
पंडित के सीने में दलित का कलेजा धड़क रहा है
बचाओ बचाओ का नारा है
वर्ण व्यवस्था और राष्ट्र में से पहले किसे बचाना है
समझ नहीं आ रहा है

पुस्तकालय को आकर्षक, हाई टेक, चाक चौबंद कर दिया गया है
अनाथालय खुल रहे हैं
अनगिनत गौ सदन और वृद्धाश्रम भी कहीं कहीं
बड़े सस्ते में तीन बिहारी बच्चे खरीदे हैं बाल श्रमिक पुनर्वास केंद्र से
दो को ऑरचर्ड भेज रहा हूँ
एक को घरेलू काम सिखाऊँगा
कॉनवेंट स्कूल से भागे अपने पोते को नशामुक्ति केंद्र में दाखिल करवा आया हूँ
वहाँ के मद्रासी वार्डन ने कहा
अभी तो इस को नींद की कुछ गोलियाँ दे देता हूँ
पर बताए देता हूँ कि कुछ इंतेज़ाम करवा रखिये
जागने पर समस्या खड़ी करेगा आप का यह लड़का
और मुझे सुनाई दिया
कि बधाई देता हूँ कि जल्द ही  जाग जाएगा आपका यह कस्बा
(कुल्लू नवम्बर, 10, 2015)

एक प्रगतिशील कस्बे का 'को करिकुलम'

विगत कुछ वर्षों से इतनी ग्रोथ हुई है
ऐसा वर्क कल्चर आया है कि
हर कोई कुछ न कुछ कर रहा है

टेक्सी वाले की बीबी गोशो मेडिटेशन कर रही है
ट्रेवल एजेंट विपश्शना कर रहे हैं
स्कूल और कॉलेज के अध्यापक आर्ट ऑफ लिविंग कर रहे हैं
मेरे दफ्तर का बाबू राधा स्वामी कर रहा है
और साहब ओम शांति कर रहा है
ड्राईवर और सुपरवाईज़र राम शरणम कर रहे हैं
बाज़ार में पनसारी निरंकारी हो गया है और हलवाई कुमारस्वामी कर रहे हैं
होल सेलरों ने गो सदन खोल दिया है
पी डब्ल्यू डी का ठेकेदार हेल्थ काऊँसेलिंग कर रहा है
टेक्स कंसल्टेंट सत नारायाण की कथा कर रहा है
और चार्टर्ड एकाऊंटेंट स्पिरिचुअल फार्मिंग का प्रचार कर रहे हैं
जब कि दो प्रगतिशील किसान आत्महत्या कर चुके हैं
दलाई लामा कम्युनिटी सेंटर में प्रवचन कर रहे हैं
कि हर हिमालयी आदमी को थोड़ा सा बुधि•म करना चाहिए
टी वी वाला बाबा कॉस्मेटिक्स बेच रहा है
यू पी वाला योगी सी एम बन गया है
सोशल मीडिया में पूरा मिडल क्लास चीन के साथ युद्ध कर रहा है

यह सब बिज़नेस और पॉलिटिक्स के अलावा है
क्यों कि जो बिज़नेस और पॉलिटिक्स नहीं कर रहा है
उसे भी कुछ न कुछ करना ही चाहिए
जैसे मैं अपने स्मार्ट फोन पर ब्लू व्हेल के साथ साथ स्टार्ट अप, स्टैंड अप और
मेक इन इंडिया कर रहा हूँ
जून 2017

महिला कार्यकर्त्ताओं की सभा

एक महिला ने कहा -
एक लड़की को कुछ फुकरों ने सरे बाज़ार छेड़ दिया
और वो छेड़ दी गई लड़की बिना प्रतिरोध किए चुपचाप चलती बनी
और ऑब्वियसली, मैं भी;
मुझे कुछ ज़रूरी काम निपटाने थे।

एक महिला ने कहा -
जीन्•ा पहने हुए एक लड़की हाँफती हुई सड़क पार कर रही थी
कि अचानक हैंड पंप पर अपने टॉप उतार कर वो बदहवास नहाने लग पड़ी
मैंने अपनी गाड़ी इसलिए रोक दी
कि मोबाईल पर पुलिस का नम्बर खोज कर इत्तिला कर सकूँ
फिर मैंने सोचा कि मुझे शिमला में हो रहे
महिला आयोग की बैठक के लिए देर हो जाएगी
और मैं अपनी गाड़ी में बैठ कर शहर से बाहर चली गई

एक महिला ने कहा -
ऐसे में हमारे दिमाग में पहला खयाल
पुलिस या प्रशासन की बजाए
एक पागल खाने या किसी सेनेटोरियम का आना चाहिए
जो कि हमारे शहर में है ही नहीं

एक महिला ने कहा -
क्या आप ने बाज़ार में घूमती उन दो औरतों को देखा है
जिन्हें शहर के सभी सम्भ्रांत पुरुष 'यूज़' करते हैं
ऐसी औरतों के लिए आप के मन में हमेशा करुणा सी जगती रहती है
जो घर की चौखट के अंदर होते ही बुझ जाती है

एक महिला ने कहा -
ऐसी 'औरतों' के बारे में हम तमाम 'महिलाएं'
मिल कर भी कुछ नहीं कर सकती
न बसा सकती हैं
न खदेड़ सकती हैं
क्योंकि हम सबको अपना अपना काम निपटाना होता है

एक महिला ने कहा-
शुक्र है आज हमने यह सब कहना शुरू कर दिया है
सोचो एक समय था जब बस सहना ही सहना होता था
इस अवसर पर मुझे मेरी माँ याद आती हैं
जो उम्र भर अपने घरेलू दुक्खों को निपटाती रही
और दुक्ख थे कि
पनिहारे की सिल पर दागदार कपड़ों के गट्ठों की तरह बढ़ते ही जाते थे
उस महिला कवि के सुबकने के साथ ही
मंचासीन महिलाएं टिशू पेपर लेकर अपने अपने आँसू या पसीना पोंछने लगीं

बहस के बाद छोटी सी खामोशी के दौरान
शहर की सभी एक्टिविस्ट महिलाएं इस निष्कर्ष पर पहुँच गईं हैं
कि देखने में यह सब चाहे कितना भी गलत लगे
लेकिन ये सैक्स वर्कर भी आखिर
एक तरह से अपना काम ही तो निपटा रहीं होती हैं

अंतिम महिला ने अध्यक्षीय भाषण में कहा
कि हमें भाषण देने और किताबें लिखने की बजाए
सीधे एक्टिविज़्म पर उतर आना चाहिए
और कहा कि यह घोषणा करते हुए वह गौरवान्वित महसूस कर रही है कि
उसकी अगली किताब सैक्स वर्कर्ज़ की समस्याओं पर ही होगी
अगस्त 2015