नवरात्र खत्म, आज विजय दशमी है. यानि कि रावण का पुतला जलाने का दिन. हिन्दुस्तानियों का खुश होने का तरीक़ा . दुनिया भर की तमाम कौमें खुश होने के ऐसे ही तरीक़े ईजाद करतीं रहती हैं।
मैं कुल्लू मे हूं . पिता के पास. यहां का दशहरा कुछ अलग ही है. चूंकि लाहुल के किसान आलू और मटर बेच चुके हैं. कुल्लू का सेब बिक चुका है, ज़ाहिर है यहां भारी मेला लगने वाला है. हिमाचल् टूरिज़म ने इस मेले को हमेशा के लिए अंतर्राष्ट्रीय लोक नृत्य उत्सव घोषित कर रखा है।
ऐसे सैंकड़ों देवता दूर दूर से यहां आते हैं, रघुनाथ जी को सलाम ठोक कर चले जाते हैं.
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उनके साथ अनेक बजंत्री चलते हैं - ढोल नगाड़े, , करनाले, रणसिंगे और शहनाई बजाते हुए . इन देवताओ को प्रशासन बतौर नज़राना कुछ धन देती है.
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रघुनाथ यहां के सामंत महेश्वर जी के कुल देवता हैं. आज रघुनाथ जी का रथ खींचा जा रहा है।
महेश्वर जी की जलेब देखने के लिए ढालपुर मैदान में बड़ी भीड़ उमड़्ती है. वे बी जे पी से चुनाब भी लड़ा करते हैं. रघुनाथ का रथ और राजा जी की पारम्परिक जलेब के इलावा पता नही कब से यहां आर एस एस का परेड शो भी होने लगा है।
हिमाचल की सांस्कृतिक राजधानी मंडी के एक क़ामरेड लवण ठाकुर को लोक तंत्र के इस युग मे इन सामंती चोंचलों से खासी नफरत है. बजंत्रियो और अन्य देव कारकूनों के पक्ष वे अपनी गिरफ्तारी भी दे चुके है. उन की मांग है कि
या तो नज़राने मे दलित कारिन्दों का हिस्सा बढ़ाया जाए. या जलेब की परम्परा खत्म हो. (या फिर पालकी में डी सी साब बैठें. ) 'सूचना का अधिकार अधिनियम ' के तहत लवण ठाकुर ने इस महामेले की आय व्यय का हिसाब भी मांग रखा है.
जनता मस्त है. आखिर महनत कश साल मे एकाध बार मस्त होना भी तो चाहता है.
मैं कुल्लू मे हूं . पिता के पास. यहां का दशहरा कुछ अलग ही है. चूंकि लाहुल के किसान आलू और मटर बेच चुके हैं. कुल्लू का सेब बिक चुका है, ज़ाहिर है यहां भारी मेला लगने वाला है. हिमाचल् टूरिज़म ने इस मेले को हमेशा के लिए अंतर्राष्ट्रीय लोक नृत्य उत्सव घोषित कर रखा है।
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रघुनाथ यहां के सामंत महेश्वर जी के कुल देवता हैं. आज रघुनाथ जी का रथ खींचा जा रहा है।
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हिमाचल की सांस्कृतिक राजधानी मंडी के एक क़ामरेड लवण ठाकुर को लोक तंत्र के इस युग मे इन सामंती चोंचलों से खासी नफरत है. बजंत्रियो और अन्य देव कारकूनों के पक्ष वे अपनी गिरफ्तारी भी दे चुके है. उन की मांग है कि
या तो नज़राने मे दलित कारिन्दों का हिस्सा बढ़ाया जाए. या जलेब की परम्परा खत्म हो. (या फिर पालकी में डी सी साब बैठें. ) 'सूचना का अधिकार अधिनियम ' के तहत लवण ठाकुर ने इस महामेले की आय व्यय का हिसाब भी मांग रखा है.
जनता मस्त है. आखिर महनत कश साल मे एकाध बार मस्त होना भी तो चाहता है.