आज उस पुरानी अप्रकाशित कहानी के अंश लगाने की अनुमति मिल गई है . शुक्रिया निरंजन ! - अजेय .
यह कहानी मैंने बरसों पहले (1994) में लिखी थी जब जे . एन . यू . में छात्र था । वहाँ एक घटना घटी थी, जिससे विचलित हुआ था । परिणाम स्वरूप कहानी लिखी गई । दिल्ली में गैंग रेप की दिल दहला देने वाली जो घटना घटी है या हजारों ही ऐसी घटनाएँ हमारे देश में , क्या यह सवाल नहीं उठातीं कि हमारे सामाजिक ढांचे में कोई खोट है । या फिर यह मामला केवल कानून व्यवस्था से जुड़ा हुआ है । शायद इस कहानी में उस वक्त मैंने यही जानने कि कोशिश की थी । पुनर्लेखन के दौरान कुछ चीज़ें बदली हैं पर मूल ढांचा वही रहा है । यह टी वी रिपोर्ट पर आधारित तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं है बल्कि नजदीक से देखी –समझी बरसों पुरानी घटना पर आधारित कहानी है ।
ढालपुर ,कुल्लू (हि . प्र . ) 175101
फोन : 098161 36900
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हर शनिवार की रात
मोहल्ला
थम सा गया है । लोगों का हुज्जुम उस थाने के बाहर बढ़ता ही जा रहा है जहां उसे
लॉकअप में रखा गया है । थाने के बाहर बड़ी
तादाद में पुलिस फोर्स मौजूद है । फांसी दो ! फांसी दो ! के नारों की गूंज अंदर
लॉकअप तक उसके कानों में गूंज रही है । फांसी के ही लायक हूँ मैं ....वह बुदबुदाता
है । अंग –अंग दुख रहा है । उसे होंठ सूजे हुए जान पड़ते हैं । शरीर और दिमाग सुन्न
हुआ जान पड़ता है । पूरा घटनाक्रम उसकी आँखों के सामने से गुज़र जाता है ।
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राजू के जाने के बाद वह उठा
तो सर बुरी तरह दुख रहा था । उसने पतीला खोल कर देखा । मटन बाकी था । रोटी नहीं थी
। चाय की भी तलब हो रही थी । बाहर निकल कर उसने चौराहा पार किया । झुग्गी बस्ती के
कोने में खुली दुकान पर चाय पी । ब्रेड खरीदी और मुन्नी के लिए लालीपाप खरीदा ।
उसने बटुए में रुपये गिने और न जाने क्या सोच कर चाय वाले से ही ठर्रा खरीदा । अब
तक इस इलाके के बारे में वह सब कुछ जानता था । कमरे में आ कर उसे ख्याल आया कि वी
सी डी भी वापिस करना है । कौन सी जल्दी है । उसने ठर्रा गिलास में उँड़ेला और एक
सांस में गिलास खाली कर दिया । माचिस ढूंढ कर स्टोव जलाया और मटन गर्म करने रख
दिया । उसे सर दर्द में कुछ राहत महसूस हुई । एक प्लेट में मटन निकाल कर उसने
दूसरा गिलास बना लिया । अब अपने अंदर कुछ जगता सा उसे महसूस हुआ । उसने दरवाजे पर
कुंडी चड़ाई और डी वी डी आन कर दिया । मटन और ब्रेड से पेट कि भूख तो शांत हो गई थी
पर ठर्रे और फिल्म के असर से जो भूख जग रही थी वह उसके अंदर जन्म ले चुके हिंसक पशु
की थी । उसने घड़ी देखी बारह बज चुके थे ।
मोहल्ले में आठ साल की बच्ची
के साथ बलात्कार हो गया था ।
एक ही ढर्रे पर चल रही कालोनी
को चर्चा के लिए अच्छा खासा मसाला मिल गया था । उकताहट भरी जीवन में रोमांच की
तलाश करने वाले नए –नए भेद खोल रहे थे । कोई एक तो मोहेल्ले से सीधा मोबाइल संपर्क
में था और लेटेस्ट जानकारी उपलब्ध करा रहा था ।
“सुना है डी वी डी प्लेयर और
सी डी सब बरामद हुई है । दो –चार और को भी उठाया है पुलिस ने ...लेकिन काम तो इसी
का था ...” मोबाइल संपर्क वाला अब सबकी जिज्ञासा के केंद्र में था । उसी ने बताया
“पूरा मोहल्ला ठाणे के बाहर जमा है । माहौल तो कहते हैं ऐसा है कि लोग ठाणे के
अंदर घुस कर उसे मार ही देंगे ।“
“खत्म ही कर देना चाहिए ऐसे
लोगों को तो ....कानून नहीं कर सकता तो जनता के हवाले कर दो ...” तुरंत राय आई ।
“...अपने खन्ना जी कहाँ चले
गए “ इधर कालोनी में वीडियो पार्लर चलाने वाले खन्ना जी घटना की खबर सुनने के बाद
न जाने कब गायब हो गए थे ।
“समझो भाई , माल ठिकाने लगाने गए और कहाँ गए ...मामला
हुआ है तो पुलिस रेड हर जगह पड़ेगी न । पुलिस को भी तो कुछ करना है कारवाई के नाम
पर ...”
“कुछ बोलो खन्ना जैसे लोगों
ने नोट खूब बनाए इस धंधे में...”
“नोट निकले किसकी जेब से
...चोरी छिपे सब देखते हैं बंद कमरों में ...”
“पर अब धंधा मंदा है ...सब
दिख जाता है मोबाइल पर ही ...आज कल के छोकरे यही सब करते हैं कालेज में । “
“ जब नेता तक असेंबली में यही
सब करते पकड़े जा रहे हैं तो नौ जवान क्या करेंगे
...टाइम बहुत खराब आ गया है ।“
“भाई...मुझे तो अब भी विश्वास
नहीं होता कि वही रहा होगा ...“
“तो कह कौन रहा है आपको
विश्वास करने को ...अब मुन्नी को कोई जाती दुश्मनी तो थी नहीं उसके साथ जो पुलिस
को बयान दे दिया । बिस्तर कि चादर वगैरा सब ले गई है पुलिस अपने साथ । जुर्म तो
साबित होने दो… साहब जाएंगे कई साल के लिए अंदर ....विश्वास
नहीं हो रहा इनको ...अंधे हैं बाकी सब एक इन्हीं कि आँखें हैं “
“लालाजी मैं उसकी वकालत नहीं
कर रहा। ऐसे काम करने पर सज़ा मिलना ज़रूरी है ...अपनी तो की ही.... बीवी बच्चों की
जिंदगी भी बर्बाद कर दी । “
“तो भैया किसने कहा था ऐसा
कुकर्म करने को .....और उस जैसे आदमी को चिन्ता होगी बीवी –बच्चे की ...कभी गया है
चार साल से घर –गाँव । उधर बीवी कहीं और रगरलियाँ मना रही होगी और ये जनाब यहाँ
कारनामे दिखा रहे हैं ...” लालाजी अपनी मुंहजोरी से बाज नहीं आते ।
इस बीच न्यूज़ चैनल और
अखबार वाले भी कैमरे उठाए बौखलाए से कालोनी में पहुँचने लगे हैं । । लोग कैमरे के
सामने आने के लिए उत्सुक हैं । उचक –उचक
कर एक –दूसरे को ठेलते हुए बढ़ –चढ़ कर बतिया रहे हैं ।
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