Friday, August 9, 2013

सफर पर निरंजन -3



बस का इंतज़ार

बस अड्डे पर रात में चलने वाली बसों के इंतज़ार में लोग बैठे हैं . मनाली से बस शुरू होती है कुल्लू के बस अड्डे पर रूकती है . सवारियां उठाती है और चंडीगढ़ , दिल्ली , लुधियाना कई स्थानों के लिए निकल जाती है . इंतज़ार मैं बैठे लोग अपनी –अपनी बस के इंतज़ार में हैं  . सभी बसें देरी से आ रही हैं क्योंकि मनाली –कुल्लू हाइवे पर टूरिस्ट सीज़न में जाम लग जाता है . लोग इंतज़ार में बैठे हैं पर बेचैन नहीं हैं क्योंकि जून की गर्मी में बादल बरस जाने से हवा में सुकून देने वाली ठंडक है . उत्तरांचल और किन्नौर की तबाही से भी लोग परेशान नहीं हैं क्योंकि बस अड्डे पर लगा टेलिविज़न क्रिकेट का मैच दिखा रहा है और लोग क्रिकेट मैच देख भी रहे हैं.  इसलिए भी लोग बेचैन नहीं हैं कि बारिश से हो चुके विध्वंस की खबर अभी नई है और काफी लोग इससे अंजान भी हो सकते हैं . जो लोग मैच नहीं देख रहे हैं वे सब या तो गप्पबाजी में मशगूल हैं या फिर इधर से उधर और उधर से इधर टहल रहे हैं . यूँ ही , समय व्यतीत करने के लिए . बीच में अड्डे पर मौजूद एक मात्र कर्मचारी से बसों की देरी को ले कर लेटेस्ट खबर जान लेते हैं . रात के दस बजने को हैं और अभी आठ बजे चलने वाली बस भी नहीं पहुंची है . इस बीच एक अडतीस –चालीस की दिखने वाली ग्रामीण सी महिला आ कर अड्डे पर  खड़ी हो गई है . बस अड्डे के एक कोने में कुछ ढाबे और होटल हैं . उसी तरफ से निकल कर पुरानी सी जींस और बनियान पहने एक टपोरी सा दिखने वाला युवक आ कर औरत की बगल में खड़ा हो गया है . कोई बीस का होगा . इधर –उधर देख कर महिला से बोला है –आंटी तेरे को बुला रहे हैं , बदिया इंतजाम हो जायेगा .... चल .. औरत कुछ सख्ती से इनकार करती है . एक –आध कोशिश के बाद झिडकी सुन कर युवक निकल जाता है .
बसें अभी भी नहीं आई है . एक लड़की अपने पिता के साथ चहल कदमी करते हुए निकल गई है . रात बारह बजे की बस के लिए आये यात्री बैंचों पर लुढ़कने लगे हैं . एक ने जूता उतार कर दूसरे को पाँव में आ गए छाले दिखाए हैं . पाँव और जूते की दुर्गन्ध साथ वाले को परेशान कर रही है . इससे बेखबर उस यात्री ने जूता थोड़ी देर हाथ में पकड़े रख कर बैंच पर ही रख  दिया है . अब साथ वाले के सब्र का बाँध टूटा है . उसने कुछ कहा है कयोंकि जूते वाले यात्री ने जूता उठा कर लापरवाही से फर्श पर टपका दिया है .थोड़ी देर बाद सहयात्री के साथ उठ दूसरे बैंच पर चला गया है . यहाँ उन्होंने एक फोम की मैट बिछाई है और उस पर पसर गए हैं .
इस बीच उधर होटल और ढाबे वाली साइड से एक और छोकरा आया है . उसकी टेढ़ी –मेढ़ी चाल में शराब का सुरूर है . उस औरत के पास वह रुका है और उसने भी कुछ धीरे से कहा है . औरत ने भी सख्ती से, धीरे से कुछ कहा है . सुनकर लड़के ने हाथ नीचे खिसकती जीन्स की जेब में डाले हैं और इधर –उधर देखकर बेशर्मी से दाँत निकाले हैं  . वह औरत की ओर झुक कर कुछ –कुछ कहता जा रहा है . अब औरत वहां से चलकर टेलिविज़न के पास पहुंची है जहाँ और भी कुछ लोग मैच देख रहे हैं . वह भी सीमेंट के पिलर की टेक ले कर मानो मैच देख रही है .खिचड़ी बालों वाला नशेड़ी छोकरा थोड़ी देर असमंजस में खड़ा रह कर फिर औरत के पास पहुँच गया है . बीच –बीच में उसकी और झुक कर कुछ कहता है औरत कभी अनसुना करती है कभी पलट कर कुछ कहती है . इस बीच पुलिस का एकमात्र जवान जो कि जवान ही है , भी उस छोकरे की हरकतें ताड़ रहा है . कुछ और लोग भी जिनकी दिलचस्पी मैच में नहीं है . अब औरत ने खीज कर पुलिस के जवान से कुछ कहा है . जवान ने मरियल से खिचड़ी बालों वाले नशेड़ी से छोकरे को गर्दन से पकड़ कर झिंझोडा है और धम से बैंच पर बिठा दिया है . छोकरा थोड़ी देर के लिए चुपचाप बैठ गया है .  पुलिस का जवान उधर से अपने केबिन की ओर चला गया है . उसके ओझल होते ही छोकरा फिर उठा है और औरत से कुछ कहकर कुछ देर जवाब के इंतज़ार में खड़ा रह कर वहां से चला गया है . वैसे ही लड़ खड़ करता हुआ .
इस बीच दो –तीन साधु बस अड्डा प्रभारी के ताला लग चुके कमरे के बाहर फर्श बुहार कर बिस्तर लगा रहे हैं . एक के पास तो ठीक इंतजाम है बाकी के दो थोड़े सर्वहारा नज़र आ रहे हैं . खैर बिस्तर बिछ गए हैं . एक युवा दिखने वाला साधू बूढ़े साधु के पाँव दबाने लगा है . वह लड़की फिर अपने पिता के साथ दूसरी ओर गुजर गई है . कुछ जवान लड़के –लड़कियां इधर –उधर टहलने लगे हैं . सफारी सूट पहने लंबा सा आदमी बस अड्डे के काउंटर पर मौजूद एकमात्र कर्मचारी से इस बात को ले कर उलझ रहा है कि उसने उसे ठीक से बस के बारे में नहीं बताया . बात करने की तमीज़ और औकात की बात करते हुए उसने मोबाईल घुमाना शुरू कर दिया है .

इस अंतराल के बाद उस औरत ने दूर तक देख कर सुनिश्चित किया है कि छोकरा अब वहां नहीं है . अपना झोला उठा कर वह तेज -तेज़ विपरीत दिशा में निकल गई है . बादल गर्जने लगे हैं और बिजली भी चमक रही है . फिर बारिश आएगी ऐसा लगता है . अब की बार वह छोकरा कुछ ज्यादा नशे में फिर से प्रकट हुआ है . लगता है चलते –चलते गिर जाएगा . औरत को वहां न पा कर गोल घूमा है और उसी दिशा में लोप हो गया है जिस तरफ औरत गई थी .