Saturday, August 7, 2010

असिक्नी-2

तकरीबन तीन साल की लम्बी प्रतीक्षा के बाद असिक्नी का दूसरा अंक प्रकाशित हो गया है. असिक्नी * साहित्य एवम विचार की पत्रिका* है जो कि सुदूर हिमालय के सीमांत अहिन्दी प्रदेशों में हिन्दी भाषा तथा साहित्य को लोकप्रिय बनाने तथा इस क्षेत्र की आवाज़ को, यहाँ के सपनों और *संकटों* को शेष दुनिया तक पहुँचाने के उद्देश्य से रिंचेन ज़ङ्पो साहित्यिक -साँस्कृतिक सभा केलंग अनियत कालीन प्रकाशित करवाती है. सभा के संस्थापक अध्यक्ष श्री त्सेरिंग दोर्जे हैं तथा पत्रिका का सम्पादन कुल्लू के युवा आलोचक निरन्जन देव शर्मा कर रहें हैं।

{ फोटो अप्लोड नही हो रहा, फिर कभी।}

170 पृष्ठ की पत्रिका का गेट अप सुन्दर है, छपाई भी अच्छी है। मुख पृष्ठ पर तिब्बती थंका शैली में बनी बौद्ध देवी तारा की पेंटिंग है. भीतर के मुख्य आकर्षण हैं :

  • स्पिति के प्रथम आधुनिक हिन्दी कवि मोहन सिंह की कविता
  • हिमाचल में समकालीन साहित्यिक परिदृष्य पर कृष्ण चन्द्र महादेविया की रपट।
  • परमानन्द श्रीवास्तव द्वारा स्नोवा बार्नो की रचनाधर्मिता को पकड़ने सार्थक प्रयास।
  • पश्चिमी भारत की सहरिया जनजाति पर रमेश चन्द्र मीणा संस्मरण।
  • विजेन्द्र की किताब आधी रात के रंग पर बलदेव कृष्ण घरसंगी और अजेय की महत्वपूर्ण टिप्पणियां। साथ में विजेन्द्र जी के अद्भुत सॉनेट
  • लाहुल के पटन क्षेत्र में बौद्ध समुदाय की विवाह परम्पराओं पर सतीश लोप्पा का विवरणात्मक लेख।
  • लाहुली समाज के विगत तीन शताब्दियों के संघर्ष का दिल्चस्प लेखा जोखा त्सेरिंग दोर्जे की कलम से।
  • इतिहासकार तोब्दन द्वारा परिवर्तन शील पुरातन गणतंत्रात्मक जनपद मलाणा पर क्रिटिकल रपट।
  • नूर ज़हीर, ईशिता ,ज्ञानप्रकाश विवेक , मुरारी कहानियां.
  • मधुकर भारती,उरसेम लता, त्रिगर्ती, अनूप सेठी , आत्माराम रंजन, सुरेश सेन, साहिल निशांत और सरोज परमार सहित गनी, नरेन्द्र, कल्पना ,बी. जोशी इत्यादि की कविताएं.
  • प्रकाश बादल की ग़ज़लें।
  • हाशिए की संस्कृतियों और केन्द्र की सत्ता के द्वन्द्व पर विचरोत्तेजक आलेख, पत्र, व सम्पादकीय।

पत्रिका मँगवाने का पता :

भारत भरती स्कूल, ढालपुर, कुल्लू, 175101 हि।प्र।

phone : 9816136900

No comments:

Post a Comment