इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ
- बाबुषा कोहली
इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ -
डाल दो मेरे पैरों में बेड़ियाँ, चढ़ा दो मुझे सूली पर या फिर
पिला दो प्याला ज़हर का ,
टांग के सलीब पर मुझे, मेरे हाथ पैरों पर
कीलें ठोंक दो.
इससे पहले कि मैं ये घोषित कर दूँ -
मैं ही धरती हूँ,
मैं ही वायु, आकाश, जल
और अग्नि भी. मैं ही हूँ पेड-पहाड़ , नदियाँ, नौतपा और इन्द्रधनुष !
महौट की बारिश भी मै,जेठ का सूखा भी मैं, आंधी, बवंडर,
सुनामी भी मैं ही हूँ !
मैं ही कनेर हूँ,
गाजरघास हूँ, बेशरम का फूल, गौतम के सिर पर खड़ा हुआ बरगद भी मैं !
मैं ही दलदल हूँ,
मैं ही गड्ढे, कूड़ा -करकट,, कीचड़ - कचड़ा मैं ही हूँ !
मैं ही भूख हूँ,
मैं ही भोजन,मैं ही प्यास हूँ और अमृत भी मैं.
मैं दिखती भी हूँ, छिपती भी हूँ, उड़ती
भी हूँ,
खिलती भी हूँ !
मैं अनंत हूँ,
असीम हूँ, अविभाज्य हूँ.
बाबुशा हमेशा गहराई तक उतरती है |
ReplyDeleteमार दो गोली मुझे चौराहे पर.
ReplyDeleteगहरी ...
ReplyDeletesoo intense ........
ReplyDeleteजादुई।।
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