मित्र धीरेश सेनी की फेस्बुक वाल पर एक एक शानदार और ईमानदार कविता मिली . बच्चो , देरी से पोस्ट करने के लिए क्षमा चाहता हूँ ! हेप्पी चिल्ड्रेंज़ डे !
बच्चों के लिए एक
चिट्ठी
·
मंगलेश डबराल
प्यारे बच्चो हम तुम्हारे काम नहीं आ सके । तुम चाहते थे हमारा
क़ीमती
समय तुम्हारे खेलों
में व्यतीत हो । तुम चाहते थे हम तुम्हें अपने खेलों
में शरीक करें । तुम
चाहते थे हम तुम्हारी तरह मासूम हो जाएँ ।
प्यारे बच्चो हमने ही
तुम्हें बताया था जीवन एक युद्धस्थल है जहाँ
लड़ते ही रहना होता
है । हम ही थे जिन्होंने हथियार पैने किये । हमने
ही छेड़ा युद्ध हम ही
थे जो क्रोध और घृणा से बौखलाए थे । प्यारे
बच्चो हमने तुमसे झूठ
कहा था ।
यह एक लम्बी रात है ।
एक सुरंग की तरह । यहाँ से हम देख सकते
हैं बाहर का एक
अस्पष्ट दृश्य । हम देखते हैं मारकाट और विलाप ।
बच्चो हमने ही तुम्हे
वहाँ भेजा था । हमें माफ़ कर दो । हमने झूठ कहा
था कि जीवन एक
युद्धस्थल है ।
प्यारे बच्चो जीवन एक
उत्सव है जिसमें तुम हँसी की तरह फैले हो ।
जीवन एक हरा पेड़ है
जिस पर तुम चिड़ियों की तरह फड़फड़ाते हो ।
जैसा कि कुछ कवियों
ने कहा है जीवन एक उछलती गेंद है और
तुम उसके चारों ओर
एकत्र चंचल पैरों की तरह हो ।
प्यारे बच्चो अगर ऎसा
नहीं है तो होना चाहिए ।
No comments:
Post a Comment